3 नवंबर को रिलीज हुई नई फिल्म ' लकीरें ' पर क्रेडेंट टीवी के यूट्यूब चैनल के प्रोग्राम 'अतिथि' में ऑनलाइन बातचीत हुई । जिसम...
3 नवंबर को रिलीज हुई नई फिल्म ' लकीरें ' पर क्रेडेंट टीवी के यूट्यूब चैनल के प्रोग्राम 'अतिथि' में ऑनलाइन बातचीत हुई । जिसमें फिल्म के निर्देशक दुर्गेश पाठक फिल्म अभिनेत्री बिदिता बाग , डॉ राकेश कुमार और लेखक एवं फिल्म समीक्षक तेजस पूनियां ने हिस्सा लिया।
शुरुआत में फिल्म एवं साहित्य समीक्षक, हरदेव जोशी पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय की शिक्षक डॉ. राकेश कुमार ने अतिथियों का परिचय देते हुए फिल्म की विषयवस्तु पर प्रकाश डाला।
उल्लेखनीय है कि यह फिल्म एक स्त्री के ज़ज्बात और उसकी संवेदनाओं को बहुत गहरे से, एवं सशक्त माध्यम से रेखांकित करती है ।
एक पति, जो प्रोफेसर और कवि है उस पर उसकी ही पत्नी ने ब्लातकार का आरोप लगाया है। इस तरह के विषय के साथ लंबे समय बाद बॉलीवुड में अच्छे संवादों और अभिनय के साथ यह फ़िल्म आई है। जिसमें आशुतोष राणा, बिदिता बाग़, गौरव चौपड़ा, राजेश जैस, टिया बाजपाई आदि ने मुख्य भूमिकाएं निभाई है।
फिल्म के निर्देशक दुर्गेश पाठक ने बताया कि यह विषय महिला प्रधानता का है, पर देखा जाए तो पुरुष के लिए भी उतना ही प्राथमिक। अब पुरुषों को भी ऐसे विषयों पर सोचने की प्राथमिकता बनानी होगी। उन्होंने आगे बताया कि 5 साल पहले टाइम्स ऑफ़ इंडिया व अन्य अखबारों में हैदराबाद हाई कोर्ट फैसले पर आधारित वैवाहिक बलात्कार (मैरिटल रेप) पर एक आर्टिकल पढ़ने के बाद , यह सोचा कि इस गंभीर विषय पर फिल्म बननी चाहिए । जो अब सभी दर्शकों के सामने है । फिल्म का कंटेंट पुरुष समाज सहित सभी लोगों को इस विषय पर नए ढंग से सोचने की की बात कहता है।
फिल्म में मुख्य अदाकारा बिदिता बाग़ ने कहा कि अब तक बहुत से लोग हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट कई बार जा चुके हैं इस मामले को लेकर लेकिन कोई हल नहीं निकला। सरकारें बदलती रही, लोग बदलते रहे लेकिन कानून कहां है? और बदलती हुई मानसिकता कहीं नजर क्यों नहीं आती? उन्होंने कहा कि महिलाओं पर जो अत्याचार आज से दस साल पहले हो रहे थे वही आज भी हो रहे हैं। हर महीने में तकनीक बदल जाती है हम अपने को प्रगतिशील कहते हैं लेकिन धरातल पर उसका परिणाम नजर नहीं आता। यही वजह रही कि उन्होंने इस फ़िल्म को काम करने के लिए चुना। इस फ़िल्म को करने से पहले जब मुझे पता चला की वैवाहिक ब्लातकार पर आज तक कोई कानून है ही नहीं तो मैं हैरान हुई।
बता दें कि बिदिता ने इससे पहले भी कई फ़िल्मों और वेब सीरीज में काफी काम किया है। जिसमें बाबु मोशाय बंदूक बाज, द शोले गर्ल, रे, अभय, भौकाल, इंस्पैक्टर अविनाश प्रमुख हैं।
लेखक एवं फिल्म समीक्षक तेजस पूनियां ने स्त्री प्रधान फिल्मों का संक्षिप्त जिक्र करते हुए वर्तमान दौर में ऐसी फिल्मों की गंभीरता पर विचार प्रकट किया । तेजस ने कहा कि वर्तमान दौर के सिनेमा में लकीरें एक स्त्री की बात ना करते हुए समस्त स्त्री जाति की बात करती है। जिस तरीके की सत्य भाषा में सिनेमा को ऐसे विषय दिखाए जानें चाहिए ,उनमें यह फिल्म बहुत महत्वपूर्ण है। आगे है।
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